
न्यूरोहाइपोफायसिस के पास नर्वोसा मे पश्च ग्रंथि पाया जाता है यह हाइपोथैलेमस द्वारा स्त्रावित हार्मोन का पहले संग्रह करता है और बाद में स्त्रावित करता है
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील
इस तरह का हेमाटोमा खोपड़ी और मस्तिष्क की बाहरी परतों के मध्य होता है।
पीयूष ग्रंथि इसी एडिनोहाइपोफायसिस की पार्स डिटेल्स को कहा जाता है इस पीयूष ग्रंथि से ग्रोथ हार्मोन का स्त्राव होता है जो मनुष्य में वृद्धि को बढ़ावा देता है
कभी किसी बात की वजह से तो कभी बेवजह भी हमारा मूड खराब हो जाता है। मूड का सीधा संबंध हमारे शरीर में मौजूद हैप्पी हार्मोन्स से भी होता है। सेरोटोनिन, डोपामाइन, ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिन, इन चारों हार्मोन्स की गिनती हैप्पी हार्मोन्स में होती है और हमारे मूड के अच्छे होने के लिए यही चारों हार्मोन्स जिम्मेदार होते हैं। हमारा खुश होना, मूड का अच्छा होना या फिर यूं ही अच्छा महसूस करना, इन हार्मोन्स की वजह से ही होता है। जैसे शरीर में अलग-अलग हार्मोन्स हमारी बॉडी के फंक्शन्स को अलग-अलग तरीके से नियंत्रित करते हैं। पीरियड्स हो, डाइजेशन हो या फिर शरीर में आने वाला कोई अन्य बदलाव, इन सभी चीजों में हार्मोन्स की अपनी भूमिका होती है।
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किडनी के द्वारा बनाए जाने वाले हार्मोन और कार्य - Kidney ke dwara banaye jane vale hormones aur karya
एड्रीनलिन या एपीननेपरीन जब मनुष्य किसी भी प्रकार के दबाव में या आपातकाल की स्थिति हो तब जोना फेसकुलुटा से यह हार्मोन स्रावित होता है आपातकाल में स्थापित होने के कारण से इसी आपातकालीन हार्मोन कहा जाता है इस हार्मोन के प्रभाव हैं आंखों की पुतली में फैलाव , हृदय की धड़कन बढ़ जाना ,पसीना आना ,श्वास की गति बढ़ जाना आदि है
टर्म इंश्योरेंस के प्रपोजल फॉर्म में गलत जानकारी देने से नुकसान होता है.
टर्म इंश्योरेंस के लिए बीमा कंपनी का चुनाव आमतौर पर ज्यादातर लोग उसके क्लेम सेटलमेंट रेश्यो को देखकर करते हैं. बीमा कंपनी चुनने का यह तरीका सही नहीं है. जरूरी नहीं की जिस कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेश्यो अच्छा है उसकी सेवा भी अच्छी ही हो.
विटामिन डी- विटामिन डी एक ऐसा हार्मोन है जो आपके दूसरे हार्मोन्स के साथ उन सभी को संतुलित करने के लिए संवाद करता है. लेकिन विटामिन डी की कमी से एस्ट्रोजेन लेवल कम हो सकता है, जिससे डिप्रेशन, मूड में बदलाव और अचानक बुखार वाली गर्मी का एहसास हो सकता है.
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हारमोंस मेलेनिन युक्त कोशिकाओं पर क्रिया कर उसकी रंग का निर्धारण करता है त्वचा का रंग काला या गोरा होना मेलेनिन पर निर्भर करता है
कई बार हेमाटोमा बैंगनी-नीले रंग से पीले और भूरे रंग में बदल जाता है क्योंकि click here खून में मौजूद केमिकल धीरे-धीरे मेटाबोलाइज हो जाते हैं और हेमाटोमा ठीक हो जाता है।